जनता का पत्रकार

डॉ गोपाल शर्मा ने चार दशक के सक्रिय पत्रकारिता जीवन में अपनी पहचान जनता के पत्रकार के तौर पर बनाई है। उन्होंने जमीनी स्तर पर और वंचित-शोषित लोगों की आवाज उठाते हुए समाचार पत्र के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना के संचार का काम बखूबी किया है। जनता के पत्रकार के तौर पर संस्कृति से जुड़ाव और सामाजिक मूल्यों की प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए महात्मा गांधी- लोकमान्य तिलक, दादा माखनलाल, कुशाभाऊ ठाकरे और अटल जी की पत्रकारिता को आगे बढ़ाया।

राष्ट्र निर्माण में भागीदारी

विशिष्ट उपलब्धि
डॉ शर्मा रामजन्मभूमि आंदोलन, राम रथ यात्रा (सोमनाथ-समस्तीपुर), एकता यात्रा (कन्याकुमारी-श्रीनगर) और जनादेश यात्रा (जम्मू-भोपाल) की कवरेज करने वाले देश के एकमात्र पत्रकार हैं।

खोजपूर्ण पत्रकारिता में योगदान
राजस्थान में खोजपूर्ण पत्रकारिता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। जासूसों जैसी कार्यशैली और वेश बदलकर गोपनीय पत्रकारिता उपक्रमों के जरिए सनसनीखेज खुलासे करने वाले पत्रकार के रूप में डॉ गोपाल शर्मा ने एक विशिष्ट पहचान बनाई।

परिवर्तन के लिए संघर्ष
इतना ही नहीं डॉ गोपाल शर्मा, 20वीं-21वीं सदी के संक्रमण काल में सामाजिक कुरीतियों को दूर करने, संस्थागत भ्रष्टाचार का मुकाबला करने और नागरिकों के लिए अधिकार तथा न्याय सुनिश्चित करने में बतौर पत्रकार अग्रणी और सक्रिय भूमिका का निर्वाह किया।

परिवर्तन के सूत्रधार

  • 1987 के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित दिवराला सती प्रकरण में विशेष संवाददाता के रूप में सामाजिक समरसता और नव जागरण की समन्वित भूमिका का निर्वाह किया।
  • राजस्थान सरकार में मंत्री रहे बाहुबली नेता के परिवार पर 33 नवजात बच्चियों की हत्या का आरोप लगा था। उनके पैतृक गांव में कई दिनों तक वेश बदलकर दौरे किए, परिवार के बंधुआ मजदूरों से मुलाकातें कीं, स्थानीय अस्पताल से बच्चियों के जन्म के रिकॉर्ड एकत्र किए और एक रिपोर्ट तैयार की, जिससे पूरे देश में आक्रोश फैल गया। न्यायपालिका ने भी सक्रिय भूमिका निभाई और परिवार में कन्या भ्रूण हत्या की परंपरा समाप्त हुई।
  • आजादी के 50 वर्ष बाद भी सामंतवाद का दंश झेल रहे मेहरू खुर्द में जमींदारों के शोषण के कारण आत्महत्याओं का विषय उठाया। इसके बाद विधानसभा में लंबी बहस हुई और अंततः पक्ष-प्रतिपक्ष की एकजुटता से मेहरू खुर्द की जनता गुलामी से मुक्त हुई।
  • बीसलपुर बांध के विस्थापितों को किए गए भूमि आवंटन का लाभ मूल विस्थापितों तक नहीं पहुंचने का खुलासा किया। 2 दर्जन गांवों का दौरा करके यह सूचना दी कि प्रभावशाली लोगों ने जमीनें हड़प लीं और जिनकी जमीनें थीं, वे वहां मजदूर के रूप में काम कर रहे थे। सीरीज के रूप में हुए पर्दाफाश के बाद सरकार ने कार्रवाई की और सैकड़ों विस्थापितों के घरों की खुशियां लौटीं।
  • भ्रष्टाचार के प्रकरण का सिलसिलेवार ढंग से खुलासा करने के कारण राजस्थान में पहली बार किसी आईएएस की गिरफ्तारी हुई।
  • माइंस लीज में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के सबूत प्रकाशित किए, जिसके कारण गृह और खनिज राज्य मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा।
  • जयपुर जिला पुलिस द्वारा बीलवाड़ी में तथाकथित मुठभेड़ में मारे गए तीन युवकों के निर्दोष होने और उन्हें नजदीक से गोली मारे जाने के सबूत प्रकाशित किए। इसके बाद एसपी से लेकर स्थानीय थानाध्यक्ष तक सभी निलंबित कर दिए गए।
  • भीलवाड़ा जिले के बिगोद गांव में एक बच्चे की नरबलि के बारे में की गई रिपोर्टिंग ने कड़ियां इस तरह खोलीं कि कई बच्चों की नरबलियों की घटनाएं सामने आईं। खुलासे के कारण पुलिस सक्रिय हुई और उसके बाद नरबलि की घटनाएं बंद हुईं।
  • जैन-बौद्ध समेत हिन्दू परंपरा के प्रमुख केंद्र तिमनगढ़ की बहुमूल्य धरोहर हैलीकॉप्टरों के जरिए तस्करी की गई। हजारों मूर्तियां उठा ले गए। डाकुओं के डेरा डालने और बाघिन के ब्याए जाने के बावजूद तिमनगढ़ की तस्करी का खुलासा किया।

समय की शिला पर हस्ताक्षर

  • अयोध्या से रिपोर्टिंग के दौरान संकेत दिया: “साधु-संत किसी भी प्रकार के दांवपेंच के खिलाफ हैं और युवा कारसेवक विवादित ढांचा देखते ही उत्तेजित हो उठते हैं।” (राजस्थान पत्रिका, 5 दिसंबर, 1992) इसके अगले दिन ढांचा ध्वस्त हो गया।
  • अमेरिका के ट्विन टॉवर पर आतंकी हमले के बाद चेतावनी दी कि इसी तरह का हमला भारत में संसद भवन जैसे महत्वपूर्ण परिसर को निशाना बनाकर किया जा सकता है। (महानगर टाइम्स, 13 अक्टूबर, 2001) तीन महीने बाद संसद पर हमला हुआ।
  • श्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित किए जाने से काफी पहले यह आकलन प्रस्तुत किया कि वे भविष्य का सशक्त चेहरा हैं। (महानगर टाइम्स, 15 अक्टूबर, 2011)
  • 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से 6 महीने पहले व्यापक रिपोर्टिंग के आधार पर सूचना दी कि इतिहास के नाजुक मोड़ पर अमेरिका डोनाल्ड ट्रम्प को चुनने के लिए मजबूर है। (महानगर टाइम्स, 5 जून, 2016)